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चिंतामुक्त जीवन

कहानी:
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उस घर मे केवल २ लड़कियां और १ लड़का था।
बड़ी लड़की आशा १६ वर्ष की थी जो बी.ऐ. द्वितीय सत्र में थी , उस से छोटा बेटा इन्टर फायनल मे था और सब से छोटी बेटी उषा हाई स्कूल मे आई थी।।
आशा सुबह काॅलेज जाती ,लौट कर १ बजे सबके लिए भोजन बनाती और पढ़ने बैठ जाती ।
शाम ४ बजे से वह कोचिंग क्लास चलाती थी और रात ८ बजे तक लगभग १५० बच्चों को पढ़ाया करती थी।और भी बच्चे उस से पढ़ना चाहते थे परन्तु आशा के पास ये ही ४ घन्टे थे,उसे मना करना पड़ता था।
आशा ने बी ए कर लिया था,सभी बच्चे अच्छे नम्बर से पास हुए थे। उसने बी  एड में दाखिला लिया
वही पुराना कार्यक्रम  दोहराना होता था।इस बार महनत अधिक करनी थी तो आशा रात्रि भोजन के बाद पुनः २ घंटे पढ़ती थी।
नतीजा आशा से अधिक उत्साह वर्धन करने वाला हुआ और आशा का बी. एड.पूरा हो गया।
सभी को आशा की शादी की चिन्ता थी,आशा को कालेज टीचर भी चाहते थे कि आशा की शादी होनी ही चाहिए।आशा के एक टीचर जो आशा से पूर्ण परिचित थे और उसका भला चाहते थे रजनीश कुमार ने एक सम्बन्ध बताया लड़का अच्छा पढ़-लिखा था और पारिवारिक व्यापार देखता था।
परन्तु आशा को अपने छोटे भाई-बहन की चिंता थी।उसके जाने के बाद उनका क्या होगा यह सोच कर आशा ने मना कर दिया।
एक मौन्टेसरी स्कूल मे आशा को जाॅब मिल गयी।अव आशा एम ए की तैय्यारी मे लग गयी। दाखिला तो वह ले नहीं सकती थी,उसने प्राइवेट रह कर फार्म भर दिया और अगले २ वर्ष मे वह एम ए बी एड हो गयी।
भाई बी ए कर चुका था और बहिन उषा बी ऐ फायनल मे थी।उषा का बी ए के बाद पढ़ने की इच्छा नहीं थी।
भाई का आशा ने एम ए मे दाखिला करवा दिया। होस्टल मे रहने खाने पीने कि सारी व्यवस्था आशा ने कर दी।
रजनीश जी के कहने से आशा और उषा की शादी  बताएं हुए लड़के और उसके छोटे भाई से बिन दहेज हो गयी।

भाई के पास दोनो बहिने यदा कदा आ कर उसका उत्साह वर्धन करती रहती थीं और चाहती थीं कि वह भी एम ए बी एड कर लें तो उसे भी किसी अच्छे काॅलेज में जाॅब मिल जाय।फ़िर उसकी भी शादी हो जाय और  सब चिन्ता मुक्त हो कर जीवन यापन करे।

आनन्द कुमार मित्तल , अलीगढ़

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1 Comments

Gunjan Kamal

05-Aug-2023 10:41 PM

👏👌🙏🏻

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